Sunday, November 29, 2015

मॉम ज़ोर से चीख पड़ी

मेरा नाम सूरज कुमार है.. मैं 20 साल का हूँ और मेरा लंड 8 इंच का लंबा और 2 इंच का मोटा है। मैं इस साईट का का एक नियमित पाठक हूँ.. मुझे इसकी कामुक कहानियां पढ़ना बहुत पसंद हैं। दरअसल मैं झारखंड से हूँ.. मेरे घर में मैं अपनी मॉम-डैड और मेरी एक छोटी बहन के साथ रहता हूँ.. मेरे डैड भुवनेश्वर में एक बैंक में जॉब करते हैं। मेरी छोटी बहन अभी स्कूल में पढ़ रही है और मेरी मॉम एक हाउनवाइफ हैं।
मेरी असली मॉम नहीं हैं बस यूँ समझ लीजिये कि इनको मेरी मॉम की जगह लाया गया था.. उनकी उम्र 36 साल है.. उनका फिगर है 36-28-36.. वो दिखने में एकदम गोरी-चिट्टी है.. अभी भी लगता है कि वो जवान हैं।
यह बात अभी 7 दिन पहले की एक सच्ची घटना है.. प्लीज़ इसको आनन्द लेने के नजरिये से पढ़िए.. मेरा सभी लड़कों से कहना है कि वे अपने लंड को रगड़ें और लड़कियां अपनी चूत में उंगली डालें.. फिर इस कहानी का मजा लें।
मैं हमेशा से अपनी मॉम का दीवाना हूँ.. क्योंकि डैड हफ्ते में एक बार घर आते थे और शायद एकाध ही बार वो मेरी मॉम को चोदते थे। इसीलिए मॉम हमेशा गुमसुम सी रहती थीं। मैं यह सब बहुत दिनों से देख रहा था लेकिन मैंने उनसे इस बारे में कभी पूछा नहीं था।
जब डैड आते थे और मेरी मॉम के साथ सेक्स करते थे.. तो मैं चुपके से वो सब देखता था और दु:ख करता था। क्योंकि डैड सिर्फ़ 5 मिनट के अन्दर ही चुदाई का खेल खत्म कर देते थे.. फिर सो जाते थे।
एक दिन मैं अपनी बहन और मॉम के साथ सोया हुआ था.. तो मैं जानबूझ कर मॉम के गले से लग कर सो गया और मैंने अपना हाथ मॉम के मम्मों के ऊपर रख दिया।
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरी मॉम मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर अपनी मम्मों को दबवा रही थीं।
तभी मुझे लगा कि मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया है।
फिर मैंने सोने की एक्टिंग की और कुछ और अधिक होने का इन्तजार किया.. कुछ पलों तक मॉम ने मेरे हाथों से अपने चूचे रगड़वाए और फिर हम दोनों सो गए।
अगले दिन मैं कॉलेज नहीं गया और घर पर ही रुका रहा।
मैंने अपनी मॉम से पूछा- आप इतनी उदास क्यों रहती हो?
उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बोला- मुझे कुछ नहीं हुआ है..
मैंने बार-बार पूछा तो वो मुझ पर गुस्सा होकर बोलीं- कुछ नहीं है.. बोला ना.. फिर क्यों एक ही सवाल बार-बार पूछ रहा है।
मैं नाराज़ होकर वापस अपने कमरे में आ गया।
तो मॉम कुछ देर बाद मेरे कमरे में आईं और ‘सॉरी’ बोल कर मुझे हग करके रोने लगीं।
मैंने उनसे फिर वही सवाल पूछा तो वो बोलीं- तुम्हारे डैड यहाँ नहीं हैं ना.. इसीलिए मैं दुखी हूँ।
तब मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं तो हूँ ना..
वो बोलीं- डैड का जगह तुम कैसे ले सकते हो..?
मैंने उनके चूचों की तरफ बिंदास देखते हुए कहा- क्या हुआ डैड जो तुम्हें देते हैं.. मैं उनसे ज़्यादा दूँगा और हमेशा तुम्हें खुश रखूँगा..
यह बोल कर मैं अपना हाथ मॉम के चूतड़ों पर फेरने लगा..
तभी मॉम ने मुझे अपने से दूर कर दिया और कहा- यह क्या कर रहा है?
मैंने कहा- मॉम मुझे सब पता है.. तुम्हें सेक्स की ज़रूरत है.. जो तुम्हें ठीक से नहीं मिल रहा है.. इसीलिए तुम हमेशा उदास रहती हो और कल रात को जब मैंने जानबूझ कर तुम्हारे मम्मों के ऊपर हाथ रखा.. तो तुम मेरे हाथ से अपने मम्मों को दबवा रही थीं।
तब मेरी मॉम शर्मा गईं और अपना मुँह नीचे कर दिया.. तभी मैंने कहा- मॉम आई लव यू.. मैं कब से तुम्हारा दीवाना हूँ.. प्लीज़ मुझे चोदने को एक मौका दो।
वो कुछ समय तक चुप रहीं.. फिर आकर मेरे गले से लग गईं.. तब मैंने उनको अपने से अलग किया और उनको चुम्बन करने लगा।
कुछ ही देर में वो एकदम गरम हो गईं और मैं अपने हाथ से उनको नंगा करने लगा।
क्या बदन है मेरी मॉम का.. जो भी देख़ेगा वो अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाएगा.. कुछ ऐसा ही हाल मेरा भी हुआ।
मैंने मॉम से कहा- मेरे भी सारे कपड़े उतार दो न..
तो वो मेरे सारे कपड़े उतार कर मेरे लंड को सहलाने लगीं.. और हैरत से बोलीं- तेरा लंड तो तेरे डैड से कहीं बड़ा और मोटा है।
फिर मॉम ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और मुँह से लौड़े को झटके देने लगीं।
मैं तो ‘अया.. अया..’ की आवाज़ निकाल रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने मॉम से कहा- चलो हम 69 अवस्था में चुसाई करते हैं।
अब हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए.. मैं अपनी मॉम की चूत को चाट रहा था।
जब मैंने अपनी जीभ को अपनी मॉम की चूत में डाल दिया तो वो सिसकारियाँ लेने लगीं- ऊऊहह.. आआ.. आआहम्फ़ उफफ्फ़.. प्लीज़ज़.. मत तड़पाओ..
वे ज़ोर-ज़ोर से स्ट्रोक लगाने लगीं.. तो मैं झड़ गया और मेरी मॉम भी झड़ गई..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
थोड़ी देर बाद फिर मेरा लंड फिर से खड़ा हुआ तो मैं बोला- मॉम अब देर नहीं करते हैं और चलो अब मैं तुम्हें संतुष्ट करता हूँ।
तो मॉम बिस्तर पर चित्त लेट कर अपनी टाँगें फाड़ कर चुदवाने की मुद्रा में आ गईं..
मैं अपना लंड लेकर मेरी मॉम की चूत के छेद पर आया और ज्यों ही मैंने लौड़ा डाला.. वो चीख उठीं- ओह्ह.. कितना मोटा है.. आज तो अपनी मॉम की चूत को फाड़ कर ही रख देगा..
फिर मैंने स्ट्रोक लगाना शुरू किया.. तो वो फिर चिल्लाने लगीं- आआहह.. अया ययईएसस्स.. और तेज़्ज़्ज़.. इय्याअहह.. ब्बबाअबबई.. क्कूमे.. ऊनन्न.. आअहह.. उऊहह.. प्लीज.. और ज़ोर से.. करो..
दस मिनट के बाद वो झड़ गई.. लेकिन मैं तो अभी तक झड़ा ही नहीं था.. तो मैंने अपने मॉम से कहा- मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा..
तो वो पहले तो मना करने लगीं.. फिर राज़ी हो कर बोलीं- आज से पहले कभी किसी ने मेरी गाण्ड नहीं मारी.. लेकिन आराम से करना।
मैंने मॉम को घोड़ी बना दिया.. पास में नारियल का तेल था.. वो लाया.. अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी मॉम की गाण्ड पर भी लगा दिया, फिर धीरे से अपनी मॉम की गाण्ड के छेद में मैंने अपना लंड घुसड़ेने लगा।
कुछ देर ट्राई करने के बाद जब जोर से लण्ड मम्मी की गान्ड में धकेला तो मेरा लंड का अगला हिस्सा अन्दर चला गया।
इमेरी मॉम ज़ोर से चीख पड़ी- मर गई… प्लीज़.. मुझे छोड़ दो.. मैं नहीं ले सकती अन्दर..
तो मैंने अपनी मॉम को बोला- चिल्लाओ मत.. अपने मुँह पर तकिया रख लो.. और अपनी आँखें बंद कर लो..
फिर मैंने और एक जोरदार स्ट्रोक मारा तो आधा लंड मेरी मॉम के गाण्ड में घुसता चला गया।
थोड़ी देर तक मैं लौड़े को धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा.. उनके बाद अपनी स्पीड बढ़ा दी। तब मेरी मॉम को भी मज़ा आने लगा था। वो ज़ोर-ज़ोर से अपनी गाण्ड को उछाल रही थीं ‘अया.. अया.. अयाहह.. आआहह..’
वो मादक आवाजें निकाल रही थीं.. उनके थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया और अपनी सारी क्रीम मेरी मॉम की गाण्ड के छेद में छोड़ दी।
मैं थक गया था तो मॉम के मम्मों को पकड़ कर सो गया।
कुछ देर बाद मॉम अपने आपको ठीक करने लगीं.. क्योंकि छोटी का कॉलेज से आने का टाइम हो रहा था।
वो बोलीं- मैं बहुत खुश हूँ.. जो तुम्हारे जैसे बेटे को पैदा जरूर नहीं किया.. पर तब भी तू मेरे दु:ख को समझ कर मुझे ख़ुशी दे रहा है..
फिर उन दिन से हम रोज़ सेक्स करते हैं। मेरा अगला टारगेट है.. मेरी आंटी श्रेया.. उनको मैंने कैसे चोदा… वो मैं अगली कहानी में बताऊँगा।

अदला-बदली परमानन्दम्

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम!
दोस्तो, मेरी पिछली कहानी
पहला सामूहिक चोदन-आनन्द
अन्तर्वासना पर प्रकाशित होने के बाद मैं बहुत व्यस्त रही, आपके बहुत मेल आये किन्तु सबका जवाब भी न दे सकी, क्षमा कीजियेगा।
आप सब पाठकों के सस्नेह-आग्रह से मैं विवश हो गई और समय निकाल कर आगे की घटना लिख रही हूँ।
आपने पिछली कहानी में पढ़ा कि कैसे जीवन में पहली बार हमने सामूहिक रूप से संसर्ग सुख प्राप्त किया और दूध के गिलास से अदला-बदली की शुरूआत हुई।
दोनों दम्पति अपने-अपने बिस्तर पर आराम कर रहे थे किन्तु किसी को भी नींद नहीं आ रही थी।
मैंने गौर किया कि नेहा भाभी सामूहिक सुख के बाद बहुत खुश थीं और दूध की अदला-बदली के बाद तो उनकी प्रसन्नता छिपाए नहीं छिप रही थी, उनके अंग-प्रत्यंग से मादकता टपक रही थी, वे कुछ अधिक ही उत्सुक लग रही थीं।
नींद न आने से हम लोगों ने बातचीत शुरू कर दी।
नेहा भाभी- हम लोगों ने जीवन में सम्भोग तो बहुत किया और मजा भी बहुत लिया, किन्तु आज जैसा मजा कभी भी नहीं आया, ऐसा क्यों शीलू?
कमल- भाभी, संसार के सभी मनुष्यों को सम्भोग की क्रिया देखने में करने से अधिक मजा आता है चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो… दो साल का बच्चा भी किसी को सेक्स करते देखे तो स्तब्ध रह जाता है। हम किसी पशु या पक्षी को भी सेक्स करते देखें तो मजा आता है फिर अपने सामने दोस्तों का नग्न चोदन यानि सेक्स इतने पास से देखने में तो इतना मजा आना ही था।
नेहा- दूर से बात करना ठीक नहीं लग रहा, क्यों ना दोनों बिस्तर जोड़ लें?
कमल- हाँ ये ठीक रहेगा।
फिर हम लोगों ने दोनों बिस्तर एक साथ जोड़ लिए और एकदम पास-पास हो गए, एक किनारे मैं थी फिर कमल उनके बगल में नेहा भाभी और फिर राजन!
अब हम सब एक दूसरे से सटे हुए थे और फिर से रोमांचित होने लगे थे।
मैं- यदि एक दूसरे को दूर से देखते हुए सेक्स में इतना मजा आता है तो एक दूसरे को छूते हुए और पार्टनर बदल कर सेक्स में कितना आएगा?
राजन- इसमें तो इतना मजा आएगा कि किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
नेहा- लिंग और योनि तो वही होती है तो साथी बदलने से क्या फर्क पड़ता है?
राजन- हर योनि की बनावट और कसावट में अंतर होता है, इसी तरह हर लिंग के आकार और सुपाड़े की बनावट में बहुत अंतर होता है जो अलग तरह का स्पर्श सुख देता है। जैसे मेरा लिंग कुछ अधिक लम्बा है और उसका नोकदार सुपाड़ा योनि में क्रमशः जगह बनाते हुए घुसता है तो अलग मजा देता है, पर कमल के लिंग की मोटाई अद्भुत है और उसका मशरूम जैसा सुपाड़ा पूरी मोटाई से घुसता है और योनि की गहराइयों में जाकर ऐसा फिट होता है कि योनि को पूरा भर देता है।
फिर साथी बदलने का बिलकुल ही अलग अहसास होता है जो मनुष्य को अद्भुत रोमांच से भर देता है, स्वाद बदलना सभी को रोमांचित करता है।
इतनी बातों से हम सभी गर्म होने लगे थे और अपने-अपने साथी के साथ अठखेलियाँ करने लगे।
कमल और मैं आपस में चिपके हुए एक दूसरे को चूम, चाट व सहला रहे थे तो राजन व नेहा दोगुने जोश में वही सब कर रहे थे।
धीरे-धीरे हम सब एक बार फिर एक दूसरे के कपड़े उतार कर नग्न हो गए।
बीच-बीच में हमारा बदन दूसरे जोड़े के बदन से छू जाता तो रोमांच और बढ़ जाता था। नेहा भाभी तो जानबूझ कर कमल को छू रही थी और उनसे चिपकने की कोशिश करती थी।
कमरे का वातावरण बहुत कामुक हो गया था, चार जवां बदन कामुकता के खेल में लीन थे।
नेहा भाभी अधिक ही गर्म हो चुकी थीं, वे बार-बार कमल से चिपकने लगती थीं।
सही मौका देख राजन ने कमल का हाथ पकड़ कर नेहा के स्तनों पर लगा दिया। कमल अपने कलात्मक अंदाज में उनके स्तनों को सहलाने व दबाने लगे।
नेहा की मस्ती और बढ़ गई, वो आँखें बंद कर कमल का चुम्बन लेने लगी। थोड़ी ही देर में नेहा का हाथ कमल के लिंग पर आ गया और उसे मस्ती से सहलाने लगी।
कमल नेहा के स्तन चूसने लगे तो नेहा मस्ती में आकर कमल का मस्त मोटा लंड जोर से दबाने लगी। फिर वो कमल के मस्त लौड़े को चूमने, चाटने लगी तो राजन मेरी ओर आ गए और मेरी रसीली चूत चाटने लगे।
क्या अद्भुत दृश्य था!
एक ही बिस्तर पर नेहा भाभी कमल का लंड चूस रही थीं तो राजन मेरी चूत चाट रहे थे।
फिर राजन और मैं 69 की अवस्था में आ गए तो नेहा कमल भी इसी पोजीशन में हो लिए। मैं नीचे से राजन का 7 इन्च का मस्त नोकदार लंड चूस रही थी तो राजन ऊपर से मेरी रसभरी चूत चाट रहे थे।
उधर कमल नीचे और नेहा ऊपर से एक दूसरे को मुखमैथुन का आनन्द दे रहे थे। मैं तो यह मजेदार दृश्य देख कर ही झड़ने लगी थी, यही स्थिति नेहा भाभी की हो रही थी। हमारी उत्तेजना बढती जा रही थी, अब वो पल दूर नहीं था जिसका हम सबको बेसब्री से इन्तजार था यानि हमारा पहला अदला-बदली परमानन्दम्…
मैंने गौर किया कि राजन का लिंग आज पहले की अपेक्षा ज्यादा लम्बा, मोटा और सख्त हो गया था। शायद अपनी आँखों के सामने अपनी प्यारी पत्नी को अपने प्रिय मित्र के साथ मजा लेते हुए देखने के कारण वो अपने जीवन के सर्वाधिक उत्तेजना के शिखर पर था।
नेहा भाभी तो उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर थीं, आज वे ऐसा आनन्द ले रही थीं जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। यह नेहा भाभी के जीवन का प्रथम अवसर था जब वे अपने पति के अलावा किसी और मर्द के साथ संसर्ग कर रही थीं।
ठीक यही स्थिति कमल की भी थी।
राजन उन दोनों को बहुत बारीकी से वाच कर रहे थे, वे दोनों उत्तेजना के चरम पर थे अतः उन्होंने सही मौका देखा तो मेरे से अलग हो गए और कमल-नेहा का सहयोग करने में लग गए।
राजन ने बड़े प्यार से नेहा भाभी को उनके मस्तक, नेत्रों और गालों पर चूमा, उनका सिर गोदी में लेकर बैठ गए और बड़े प्यार से उनके स्तनों को सहलाने लगे फिर मुझे इशारा किया तो मैंने कमल को प्यार किया उनके मद-मस्त हो रहे लिंग को प्यार से चूमा।
मुझे महसूस हुआ कि उनका लंड आज जीवन के सर्वाधिक उभार पर था आज तक कभी भी कमल का लंड इतना मस्त और सख्त नहीं हुआ था।
कमल के मस्त लंड को बड़े ही प्यार से चूमते-चाटते हुए मैंने अपने हाथों से नेहा भाभी की आमंत्रित करती हुई रसीली छबीली चूत के खुले मुंह में लगा दिया।
नेहा भाभी का चेहरा मस्ती व उत्तेजना में लाल सुर्ख हो गया था।
फिर कमल ने राजन और मेरी ओर देखा तो हमने सहमति में सिर हिला दिया, जो कमल के लिए हरी झंडी थी। उन्होंने धीरे-धीरे नेहा भाभी की चूत महारानी में अपने लंड महाराज का प्रवेश कराना शुरू किया, नेहा भाभी थोड़ी कसमसाई तो राजन ने उनको जकड़ लिया और प्यार करने लगे।
जब पूरा लिंग प्रवेश हो गया तो नेहा भाभी मुस्कुराईं और हमें इशारा किया, अब वे खुद चुदाई का आनन्द लेने के साथ हमारी चुदाई देखने का भी आनन्द लेना चाह रही थीं।
उन्होंने मुझे व राजन को चूमा और चुदाई शुरू करने की अनुमति दी।
राजन ने अपना मस्त मजेदार 8 इंची नोकदार लंड नेहा भाभी को चुसाया तो कमल ने मेरी रसभरी चूत को बड़े ही प्यार से चाट कर मुझे राजन का लंड लेने की अनुमति दी।
अब राजन ने मुझे नेहा भाभी के बगल में लिटाया और प्यार से अपना मतवाला लंड मेरी प्यासी चूत के हवाले कर दिया जो गपक-गपक कर बड़ी मस्ती से उसको अपने अन्दर समा लेने की कोशिश करने लगी।
अब बिस्तर में बड़ा ही मस्त नजारा था, मैं और नेहा भाभी एक दूसरे से बिल्कुल सट कर लेटी हुई थीं, मेरे पतिदेव का मस्त लंड नेहा भाभी की रसीली शर्मीली चूत को जन्नत का मजा दे रहा था तो उनके पतिदेव का जानदार शानदार लंड मेरी रसभरी प्यासी चूत को सातों स्वर्गों का अपूर्व सुख प्रदान कर रहा था।
मैं और नेहा भाभी आपस में एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए थीं। तो कमल व राजन भी बीच-बीच में एक दूसरे को ठोंक कर एक दूजे का उत्साह बढ़ा रहे थे।
चुदाई का रोमांच चरम पर था, दोनों मर्द तूफानी गति से धक्के पर धक्के लगा रहे थे तो नीचे से मैं व नेहा भाभी भी ताल से ताल मिलाकर उनका भरपूर साथ दे रहे थे।
मैं तो कई बार झड़ चुकी थी, नेहा भाभी की शर्मीली चूत भी किसी पहाड़ी झरने की तरह रस बहा रही थी, किन्तु लगता था कि दोनों मर्द शर्त लगाकर चोद रहे थे और कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था।
कुछ देर बाद कमल थकने लगे तो राजन बोले- अब हम दोनों नीचे लेटते हैं और हमारी पत्नियाँ ऊपर से चुदाई करेंगी।
अब मैं व नेहा भाभी ऊपर आ गईं एवं एक दूजे के पतियों के लंड अपनी चूतों में ले कर ऊपर से चुदाई करने लगीं।
कभी हम ऊपर से चोदते तो कभी हमारे पति!
दोस्तो, इस तरह उस रात जिंदगी की सबसे लम्बी चुदाई चली। चुदाई में इतना आनन्द परमानन्द प्राप्त हो रहा था कि उसका शब्दों में वर्णन कर पाना असंभव है।
अंत में सब लोग झड़े और थक कर एक साथ लिपट के सोने लगे, अब हम चारों में कोई भेद नहीं था, कोई भी नहीं समझ सकता था कि कौन किसका पति और कौन किसकी पत्नी है।
इस तरह उस रात हमारी जिंदगी की पहला अदला-बदली चुदाई हुई। उसके बाद वे लोग और दो दिन रुके उन रातों में कुछ अलग तरह का आनन्द हुआ, उसके बारे में फिर कभी बात होगी।
दोस्तो, मेरी यह सामूहिक चोदन की नई घटना आपको कैसी लगी, अपनी राय जरूर बताइयेगा।

गर्लफ़्रेण्ड के भाई की प्रेमिका

मैं जतिन शाह, मेरी उम्र 20 वर्ष है, मैं काफ़ी गठीले बदन का 5′ 9″ का बांका जवान हूँ।
मेरी गर्लफ़्रेण्ड रीतिका पटेल 19 साल की है, मैं अपनी गर्लफ्रेंड को बहुत प्यार करता हूँ।
रीतिका मेरे एक दोस्त रत्न शाह जिसकी उम्र 22 साल है, की बहन है, रत्न को भी पता है कि रीतिका और मैं एक दूसरे को चाहते हैं। रत्न की एक गर्लफ़्रेन्ड है पूजा, हम सब एक दूसरे के बारे में जानते हैं और खुले हुए हैं तो चारो साथ साथ घूमते-फ़िरते, समय बिताते हैं।
लेकिन रत्न की डील डौल ज्यादा अच्छी नहीं है तो इससे समस्या यह पैदा हो रही है कि मेरे दोस्त रत्न की गर्लफ्रेंड पूजा मुझसे नजदीकियाँ बढ़ाने की कोशिश कर रही है और यह बात मैं अपनी गर्लफ्रेंड रीतिका को बता नहीं पा रहा हूँ।
हालांकि मुझे भी अब पूजा अच्छी लगने लगी है और सच बोलूँ तो हमारे बीच चूमा चाटी भी हो चुकी है।
रीतिका और उसका भाई रत्न मुझ पर काफ़ी विश्वास करते हैं तो कई बार मुझे आत्माग्लानि होती है कि मैं उन दोनों के विश्वास को ठेस पहुँचा रहा हूँ।
दूसरी तरफ़ पूजा मुझ पर लगातार दबाव बढ़ा रही है उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिये लेकिन वो रत्न से भी सम्बन्ध बनाये रखना चाहती है क्योंकि वो काफ़ी मालदार है और उससे शादी करना चाहती है।
रीतिका भी मुझसे शादी करना चाहती है लेकिन अभी कई साल मेरी शादी नहीं होगी, मैं अभी पढ़ाई कर रहा हूँ।
मुझे लगता है कि पूजा रत्न के पैसे से और मेरे शरीर से प्यार करती है।
आप बतायें कि क्या मैं सही सोच रहा हूँ?

मैंने वाइफ़ स्वैप्पर क्लब जॉयन किया

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बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद -9

ब तक आपने पढ़ा..
वो अपना हाथ तौलिया के अन्दर ले गया और लगाने लगा। तब तक सोनाली ने अपना तौलिया की गाँठ खोल दी। जब वो पूरी तरह से बाम लगा चुका.. तब तक उसका लंड भी तन कर तंबू हो गया था।
पूरी मालिश करने के बाद उसने पूछा- दर्द कैसा है?
तो सोनाली उठी.. उसका तौलिया बिस्तर पर ही रह गया और नंगी ही सूर्या के गले लग गई।
सूर्या देखता ही रह गया।
अब आगे..
सोनाली- थैंक्स.. तुम्हारे हाथों में तो जादू है।
सूर्या से भी कंट्रोल नहीं हो पाया.. एक सीमा होती है कंट्रोल करने की.. इतनी हॉट लड़की खड़ी हो सामने.. और वो भी पूरी नंगी.. तो किस चूतिया से कंट्रोल होगा।
वो भी उससे चिपक गया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा, तब तक सोनाली ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
अब तक सोनाली उसके लंड पर भी हाथ रख चुकी थी और उसकी पैंट के ऊपर से ही उसके खड़े लौड़े को मसलने लगी।
कुछ देर किस करने के बाद उसको अलग किया।
सूर्या- ये ग़लत है.. तुम मेरे दोस्त की बहन हो.. ये सही नहीं है… सब सुशान्त को पता चलेगा.. तो वो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा?
वो ये बोल कर नीचे चला गया और मुझे फोन किया- कितनी देर में आओगे?
मैं- भाई तेरी बाइक खराब हो गई है.. उसी को ठीक करवा रहा हूँ।
सूर्या- ओह.. बोल.. मैं भी आता हूँ।
मैं- रहने दे.. तू मूवी देख.. मैं ठीक करवा कर तुरंत आता हूँ.. तेरा मन हो रहा है तो आ जा..
सूर्या- नहीं.. वैसी कोई बात नहीं है।
तब तक सोनाली नंगी ही आकर उसकी गोद में बैठ गई।
मैं- सोनाली कहाँ है.. फोन दे तो उसको..
सूर्या- ओके.. लो..
सोनाली- हाँ भैया बोलो?
मैं- उसको भूख लगी होगी.. खाना खिला देना उसको.. मैं कुछ देर में आऊँगा.. समझ गई न?
सोनाली- ओके भैया समझ गई..
सूर्या- ओके भाई.. तू जल्दी आ जाना।
मैं- ओके भाई..
सोनाली- लो भैया अभी नहीं आएंगे.. तुमको भूख लगी है ना.. लो दूध पी लो..
उसने अपनी चूचियों को उसके मुँह के पास कर दिया।
सूर्या- उसको पता चल गया तो?
सोनाली- जो होगा देखा जाएगा।
तो सूर्या ने भी उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाने लगा, तब तक सोनाली ने उसकी पैन्ट को खोल दिया, उसका लहराता हुआ लंड बाहर आ गया, उसका लंड भी कम नहीं था, मेरे बराबर ही था.. या छोटा भी होगा तो बहुत कम ही छोटा होगा।
सोनाली उसको बड़े प्यार से सहला रही थी और सूर्या उसके मम्मों को नोंच रहा था।
तभी सूर्या ने उसकी चूचियों को मुँह में ले लिया। मेरी दया से चूचियों इतनी बड़ी हो गई थीं कि उसके मुँह में तो जा ही नहीं पा रही थीं..
तभी..
सोनाली- मैं इसको मुँह में ले लूँ?
सूर्या- ले लो.. लेकिन मैं चूचियों को अभी नहीं छोड़ने वाला हूँ.. बहुत दिनों से इसको पाना चाह रहा हूँ।
सोनाली- बहुत दिनों से.. मतलब.. कब से?
सूर्या- पिछली बार जब तुमको सुशान्त के साथ स्टेशन पर देखा था.. तब से ही मैं इनके साथ खेलना चाहता था और आज सुबह से जब से आधी चूची को खुला देखा है.. तब से मैं इसको पाने के लिए मचल रहा हूँ।
सोनाली- और मैं तुमको पाने के सपने पिछले 3 साल से देख रही हूँ।
सूर्या- सच.. तो बताया क्यों नहीं?
सोनाली- मैंने बहुत कोशिश की लेकिन तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया और अभी भी ज़बरदस्ती नहीं करती तो क्या तुम मानते?
सूर्या- सुशान्त मुझे भाई बोलता है ना.. उसे पता चलेगा तो बुरा सोचेगा.. ये सोच कर मैं चुप था.. लेकिन अब मैं तुमसे दूर नहीं रहने वाला हूँ..
सोनाली- अब तो लंड मुझे चूसने के लिए दे दो.. तीन साल से तड़फ रही हूँ.. इसकी याद करके..
सूर्या- लो.. मैं भी तो देखूँ.. तुम्हारी चूत कैसी है!
वे दोनों 69 की अवस्था में आ गए, सोनाली लंड को बहुत अच्छे से चूस रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे खा जाएगी।
उधर सूर्या भी चूत को आसानी से नहीं छोड़ रहा था.. साला पूरा जीभ अन्दर डाल रहा था.. दोनों सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने सोचा रंग में भंग डालने का यही सही टाइम है।
मैं सामने से घूम कर अन्दर आ गया.. अभी भी वो दोनों अपने चूसने के काम में लगे हुए थे।
मैं- हे.. ये क्या कर रहे हो तुम दोनों?
मुझे देखते ही दोनों अलग हुए और सोनाली भाग कर अपने कमरे में चली गई और सूर्या अपने लंड को छिपाते हुए खड़ा हो गया।
मैं चिल्लाता हुआ बोला- कपड़े पहनो अपने.. पहले कपड़े पहनो..
सूर्या- सॉरी भाई ग़लती हो गई..
मैं- मैं तुमको भाई बोलता था.. और तुम मेरी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो यार?
सूर्या- पता नहीं यार कैसे हो गया… मैं खुद ही दिल से बुरा महसूस कर रहा हूँ।
मैं- तुम्हारे महसूस करने से क्या सब ठीक हो जाएगा..
और भी ना जाने मैंने क्या-क्या बोल दिया और वो चुपचाप सुनता रहा।
सूर्या- मैं इससे शादी करने को रेडी हूँ।
मैं- क्या.. तुम अब क्या ये बात मम्मी-पापा को भी बताना चाहते हो.. वो तुम दोनों को मार देंगे..
सूर्या- तो क्या करूँ.. तुम ही बताओ?
मैं- मेरी बात ध्यान से सुनो.. तुम मेरे दोस्त हो.. सो मैंने तो माफ़ कर दे रहा हूँ लेकिन एक कहावत तो सुनी होगी.. आँख के बदले आँख.. कान के बदले कान.. तो बहन के बदले बहन..
सूर्या- मतलब.. मैं कुछ समझा नहीं?
मैं- तुमने मेरी बहन के साथ ये सब किया.. बदले में तुम अपनी बहन को मेरे लिए रेडी करोगे।
सूर्या- नहीं.. ये नहीं हो सकता..
मैं- क्यों नहीं हो सकता.. ओके ठीक है मैं पापा को फोन करके सब बता देता हूँ.. बाकी तू समझ लेना।
सूर्या- ओके ओके.. मैं रेडी हूँ अपनी बहन को पटाने में मैं तुम्हारी मदद करूँगा लेकिन किस बहन को.. बड़ी को या छोटी को?
मैं- तुम्हारी दोनों में से कोई भी चलेगी..
सूर्या- सोनिया नहीं.. तुम सुहाना पर ट्राई करना..
मैं- ओके जिस दिन मैं तुम्हारी दोनों बहनों में से किसी एक को चोदूँगा.. उस दिन मैं सोनाली को तेरे पास पहुँचा दूँगा.. अब जा..
सूर्या- ओके..
मैं- लेकिन ज्यादा टाइम नहीं है तुम्हारे पास.. आज शाम को मैं तुम्हारे घर आ रहा हूँ..
सूर्या- ओके आ जा भाई..
मैं जानता था.. सोनाली की चूत का रस पीकर वो उसे चोदे बिना नहीं रह सकता है। मेरा काम जल्दी ही हो जाएगा और मैं सोनाली के कमरे चला गया। वो नंगी ही बिस्तर पर बैठी थी।
सोनाली- क्या यार.. थोड़ी देर और नहीं रुक सकता था..
मैं- हाह.. हहहाहा.. चिंता मत करो.. तेरा वो अपनी बहन को मेरे से जल्द ही चुदवा देगा।
सोनाली- इतनी देर तुम कहाँ रह गए थे?
मैं- घर में और कहाँ?
मैंने उसको सारी बात बताई।
सोनाली- मतलब सब कुछ देख लिया..
मैं- हाँ सब कुछ..
सोनाली- कैसी लगी मेरी एक्टिंग?
मैं- जबरदस्त.. तुमको तो बॉलीवुड में होना चाहिए था.. यहाँ क्या कर रही हो।
वो मुझे मारने के लिए दौड़ी.. तो मैं उसको ले कर बिस्तर पर आ गया। मैं नीचे था और वो मेरे ऊपर.. मैं उसकी पीठ सहलाते हुए बोला।
मैं- सूर्या तो चला गया.. अब हमारा एक राउंड हो जाए।
सोनाली- हाँ क्यों नहीं.. मैं तो रेडी ही हूँ.. कपड़े तुमने ही पहन रखे हो.. उतारो..
तो मैं कौन सा देर करने वाला था। सारे कपड़े उतार कर चोदने के लिए तैयार हो गया।
मैं- लो मैंने भी उतार दिए।
वो मुझसे लिपट गई.. तब हम दोनों ने 2 राउंड हचक कर चुदाई की.. फिर घड़ी देखी तो 5 बजने वाले थे।
हमने मिल कर पूरे घर को साफ़ किया और पढ़ने बैठ गए। मम्मी-पापा आ गए.. उनको कुछ भी पता नहीं चला।
शाम को हम छत पर बैठे हुए थे।
सोनाली- सूर्या का फोन आया?
मैं- नहीं क्यों?
सोनाली- वैसे ही कहा.. कहाँ तक बात पहुँची जरा पूछो?
मैं- ओके.. मैं फोन करता हूँ..
सोनाली- ओके.. करो जल्दी..
मैं- क्या बात है बड़ी जल्दी है तुमको?
सोनाली- हा हा हा हा..
मैं- कैसा है भाई.. काम का कुछ हुआ कि नहीं?
सूर्या- हाँ पता कर लिया.. दोनों में से किसी का कोई ब्वॉय-फ्रेंड नहीं है.. तुम ट्राइ कर सकते हो.. लेकिन अभी घर पर सोनिया ही है.. सुहाना तो दिल्ली गई है।
मैं- दिल्ली क्यों बे?
सूर्या- वो वहीं रहेगी अब.. आगे पढ़ने के लिए..
मैं- सोनिया है ना अभी घर पर.. उसी से काम चला लूँगा।
सूर्या- ठीक है।
मैं- तो बोल घर कब आऊँ?
सूर्या- अभी आ जा.. मिल लो.. लेकिन दिन में आओगे तो मम्मी-पापा नहीं रहते हैं।
मैं- ओके कल ही आता हूँ।
सोनाली- क्या हुआ.. क्या बोला?
मैं- अपने घर बुलाया है कल दिन में।
सोनाली- अरे वॉऊ.. तब तो वो जल्द ही तुम्हारी बाँहों में होगी।
मैंने आँख मारते हुए कहा- कोशिश तो यही रहेगी.. अब तेरे लिए सूर्या के लौड़े का इंतजाम भी तो करना ही है न..
दोस्तो.. मेरी यह कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा।
आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा या नहीं.. मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा।
कहानी जारी है।

गर्ल-फ्रेण्ड की चूत चुदाई की अभिलाषा

दोस्तो.. आप सभी को नमस्ते.. मैं अन्तर्वासना का नया पाठक हूँ.. आज मैं अपनी जिंदगी की सच्चाई आप सभी के सामने पेश करने जा रहा हूँ। मेरा नाम रचित है.. मैं 19 साल का लड़का हूँ.. मेरा लंड का साइज़ 6.5 इंच का है 2.5 इंच मोटा है.. मेरा कद 5’8″ है.. मैं एक दुबला-पतला लड़का हूँ.. लेकिन मैं एक सेक्सी लड़का हूँ। ये मैं नहीं कहता.. मेरे सारे फ्रेंड्स कहते हैं।
जिस वक्त की यह घटना है उस समय मैं क्लास 12 का स्टूडेंट था.. अब मैं बीएससी कर रहा हूँ। उस समय मैं कंप्यूटर कोचिंग करता था.. तो मेरे साथ तीन लड़कियाँ कंप्यूटर सीखती थीं। उनमें एक रीमा नाम की लड़की थी.. मैं उसे पसंद करता था और वो भी मुझे चाहती थी।
मैंने उसे एक दिन प्रपोज किया.. तो उसने एक्सेप्ट कर लिया.. तीन महीने तक मैं उससे मिलता जुलता रहा लेकिन सेक्स के बारे में कोई बात नहीं की.. ना ही करना चाहता था।
एक दिन वो मेरे पास आई.. कहने लगी- रचित.. तुमने कभी सेक्स किया है?
तो मैंने उसे सच बता दिया- मैंने कभी सेक्स नहीं किया.. अगर तुम करना चाहो.. तो मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर सकता हूँ।
वो मना करने लगी.. बात आई गई हो गई।
उस दिन मुझे पूरी रात नींद नहीं आई और मैं यही सोचता रहा कि उसने ये क्यों पूछा।
फिर मेरी उससे 3-4 दिन कोई बात नहीं हुई।
एक दिन मेरे पास उसका कॉल आया- रचित.. मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने ‘हाँ’ कह दिया और हमारे मिलने की बात पक्की हो गई।
उसने मुझे मिलने अपने घर पर बुलाया और मेरे साथ बहुत बातें की।
उसी दिन किस्मत से मेरे डैड और मॉम कानपुर गए थे। उससे उसके घर पर मिलने के बाद मैंने उससे मेरे घर के खाली होने की बात कही और चलने को कहा.. तो वो मेरे घर आई और मेरे पास बैठ गई।
आँखों ही आँखों में दोनों तरफ बात कुछ जमने लगी थी.. चुदास भी दोनों को लगी थी पर शुरूआत होने में थोड़ी हिचक बाक़ी थी।
मैं उससे बातें करने लगा.. मेरा सिर दर्द कर रहा था.. थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में जाकर अपने बिस्तर पर लेट गया, उसको भी मैंने अपने बेडरूम में ही बुला लिया।
मैंने उससे कहा- थोड़ा मेरे सिर में बाम लगा दोगी?
तो उसने हाँ कह दिया। वो बाम लगाते-लगाते कभी अपने मम्मों को मेरे मुँह पर रख देती.. कभी मेरे सीने पर गड़ा देती। उसकी इन हरकतों से मैं गर्म हो गया.. मेरा लंड अपने उफान पर आ गया।
उसने जीन्स टॉप पहना हुआ था और मैं बनियान और लोवर में था। मेरा लंड खड़ा था तो वो साफ़ दिखाई दे रहा था।
उसने मेरे लंड को देखा और देखे जा रही थी। मैंने उससे पूछ लिया- क्या देख रही हो?
तो उसने कहा- यह तुम्हारे लोवर के अन्दर बड़ा सा क्या उठा हुआ है?
वो जानबूझ कर अनजान बन रही थी जैसे वो लौड़े के बारे में कुछ जानती ही नहीं हो…
मैंने बताया- कुछ नहीं..
तो उसने जिद पकड़ ली.. और कहा- दिखाओ ना.. वो बच्चों जैसे ज़िद करने लगी।
फिर उसने मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी।
मेरा लोवर और अंडरवियर हटा दी।
मैं उसके सामने नंगा हो गया और वो मेरे लंड को पकड़ कर कहने लगी- इतना बड़ा?
मैंने कहा- बड़ा है.. तो बड़ा ही होगा ना..
फिर उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने भी उसे किस करना शुरू कर दिया। मैं नंगा ही था.. वो मेरे ऊपर लेट गई और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरे पूरे शरीर में 11000 वोल्ट का करेंट दौड़ गया। फिर वो भी गर्म हो चुकी थी वो मुझे पागलों की तरह चुम्मियाँ लिए जा रही थी।
मैंने भी उसे खूब चूमा.. फिर मैंने अपनी हरकतों को बढ़ाया और उसके टॉप में हाथ डाल दिया।
मैंने उसका टॉप उतार दिया और जींस के बटन खोल कर उसे भी निकाल दिया।
अब वो मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में आ गई थी। वो क्या गजब की माल लग रही थी उसका फ़िगर 32-30-32 था.. उसके एक मम्मे को मैंने अपने मुँह से चूसना शुरू कर दिया और साथ ही मैं दूसरे मम्मे को एक हाथ से मसल रहा था।
उसके मुँह से मादक आवाजें आ रही थीं- उउइ.. आआआहह.. ससी..ई.. उसकी कामुक आवाजों से मेरा कमरा गूँज उठा।
मैं उसे तड़पा रहा था फिर मैंने उसकी बिना बाल वाली चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
वो मजे से कराहने लगी- उउउईए.. माँ.. सस्सस्स..
उसकी कामुक आवाजें निकलने लगीं मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की चुदाई करना शुरू कर दिया।
करीब 2-3 मिनट में ही वो झड़ गई और मेरा हाथ उसके पानी से गीला हो गया।
मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया.. उसके होंठ बहुत गर्म थे.. अब उसने कहा- तुम मेरी चूत को चाटो ना..
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और मैं उसकी चूत को मजे से चाटे जा रहा था। मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी और जीभ से ही उसकी चूत को चोदे जा रहा था।
वो मेरे लंड को चूस रही थी.. मैं उसकी चूत को चाट रहा था। वो मेरे लंड को चूसते समय अचानक उत्तेजित हो उठी और उसने मेरे लंड में अपने दाँत गड़ा दिए.. और ज़ोर से झड़ गई।
उसका सारा पानी में पी गया.. क्या नमकीन पानी था.. मजा आ गया।
फिर मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.. उसकी पूरी चूत गीली हो चुकी थी। मैं भी अब झड़ने वाला था।
मैंने मुख चुदाई की मुद्रा में आकर उसके मुँह में अपना लंड ज़ोर से दबा दिया और झड़ गया। मेरा बहुत सारा माल निकला और वो सारा पी गई।
अब उसकी चूत चोदने की बारी थी। हमने अपनी अवस्था बदली और मैंने उसकी टांगे फैला दीं और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया और एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया। पर मेरा लंड फिसल गया और वो हँसने लगी। मैं जिंदगी में पहली बार चूत से भिड़ रहा था।
फिर उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रखा और कहने लगी- अब धक्का लगाओ..
मैंने धक्का लगाया.. मेरा लंड उसकी चूत में आधे से कम ही घुस पाया था कि वो ज़ोर से चिल्लाई- हे भगवान.. मर गई.. आज तो इसने मेरी चूत फाड़ डाली..
फिर मुझे कुछ गीला सा लगा.. तो मैंने देखा कि उसकी चूत से खून आ रहा है।
उसने लगभग रोते हुए कहा- मेरी चूत में जलन हो रही है.. अपना लंड निकालो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने कहा- थोड़ी देर रूको.. फिर तुम्हें मजा आने लगेगा।
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे किस करने लगा.. कुछ देर बाद उसे आराम महसूस हुआ।
फिर मैंने धक्का लगाने शुरू किए। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया और उसकी आँखों से आंसू आ गए।
मुझे तो आज लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ.. मैं उसके मम्मों को जोर से दबाए जा रहा था और खूब मसल रहा था।
थोड़ी देर के बाद उसे भी मज़ा आने लगा.. वो भी अपनी गाण्ड उछाल कर मेरा साथ देने लगी। वो मजे से सीत्कार करने लगी थी.. मैं अब अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही मिनटों के बाद वो ज़ोर से अकड़ती हुई झड़ गई.. उसकी चूत से पानी निकलने लगा।
अब मुझे अपना लंड अन्दर-बाहर करने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी। पूरा कमरा ‘फुच्च.. फुच्च..’ की आवाजों से गूँज उठा।
मैं उसे काफ़ी देर तक पूरे जोश में चोदता रहा।
वो फिर से गरम हो उठी और कहने लगी- और तेज़ और तेज़ से चोदो.. जानू..।
मुझे भी जोश आ गया.. मैं बहुत तेज़ी से चोदने लगा।
अब मेरे झड़ने की बारी आ गई.. मैं और तेज़ गति से चोदने लगा, मैंने कहा- जानू.. अब मैं झड़ने वाला हूँ किधर छोड़ूँ?
तो उसने कहा- मेरी चूत में ही छोड़ दो..
मेरे लंड से पिचकारियाँ निकलना शुरू हो गईं, उसकी चूत मेरे माल से भर गई और उसकी गाण्ड के रास्ते से बिस्तर पर गिरने लगी। मेरा लंड झड़ने बाद उसकी चूत में लंड पड़ा हुआ सिकुड़ने लगा।
मैं उसी के ऊपर लेट गया। फिर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया।
उसने कहा- जानू.. आज तुमने मुझे जन्नत की सैर कराई है।
मैंने उसे माथे पर एक चुम्मी ली।
उसने कहा- आई लव यू..
मेरा लंड उसके ‘आई लव यू..’ बोलने से पहले ही उसकी चूत के ऊपर फिर खड़ा हो गया। फ़िर मैंने उस दिन उसकी 5 बार चुदाई की।

कमर का दर्द चूत चुदाई से ठीक हुआ

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